हमसे दुनिया, या हम दुनिया से, बस यही सवाल है
तुझसे मिलना, या न मिलना, दोनों अजब बवाल हैं
सब हैं अन्ना, हम तो बनना चाहें बस भगवान हैं
पर संसार संभाले न संभले, ऐसा जंजाल है
जो है दूर, वो पास किसी के, और जो पास वो रहते दूर
कहिन अलबर्टवा, दूरी बढ़ने से ही बढ़ते साल हैं
कहिन अलबर्टवा, दूरी बढ़ने से ही बढ़ते साल हैं
भारत में भए कई सौ भारत, हिन्दोस्ताँ में हिंद हज़ार
मुर्गे को भी मिलते option झटका और हलाल हैं
खामोशी 'फुर्सत' की लत है, खानाबदोशी एक जूनून
ख़्वाबों की खोज में खोने वालों की खिंच जाती खाल है
ख़्वाबों की खोज में खोने वालों की खिंच जाती खाल है
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