१
हंगामा है क्यूँ बरपा, थोड़ी सी जो पी ली है
डाका तो नहीं डाला, चोरी तो नहीं की है
ना-तजुर्बाकारी से वाइज़ की ये बातें हैं
इस रंग को क्या जाने, पूछो जो कभी पी है
उस मय से नहीं मतलब, दिल जिससे हो बेगाना
मक़सूद है उस मय से, दिल ही में जो खिंचती है
वां दिल में की दो सदमे, यां जी में की सब सह लो
उनका भी अजब दिल है, मेरा भी अजब जी है
हर ज़र्रा चमकता है अनवार-ए-इलाही से
हर सांस ये कहती है, हम हैं तो खुदा भी है
सूरज में लगे धब्बा, फितरत के करिश्मे हैं
बुत हमको कहें काफ़िर, अल्लाह की मर्ज़ी है
Why all this commotion just ‘cause I took a sip?
I did not steal or rob, just took a tiny trip
Clergymen can be chaste but never know this taste
Nor see this colour, unless faith does a backflip
Don’t care much for all these brews that burn the heart
The heart makes its own wine sweeter to the lips
I’ll grin and bear all of her punishments
My heart is like a crazy cat, hers is catnip
This light of being fills up even the tiniest speck
Each breath reminds us we are not a random blip
The Sun too has its own wounds by nature’s decree
The gash of idolatry is made by God’s whip
२
आब-ए-ज़मज़म से कहा मैंने, मिला गंगा से क्यूँ?
क्यूँ तेरी तीनत में इतनी नातवानी आ गयी?
वह लगा कहने की हज़रत! आप देखें तो ज़रा
बंद था शीशी में अब मुझमें रवानी आ गयी
Holy water! Why do you gel with infidels?
Without strength of your will are you holy at all?
“Before you judge me, Mister, just answer me this
Do I look better in bottle or waterfall?”
३
मुस्लिम का मियाँपन सोख्त करो. हिन्दू की भी ठकुराई ना रहे
बन जाओ हर इक के बाप यहाँ, दावे को कोई भाई ना रहे
हम आपके फ़न के गाहक हों, खुद्दाम हमारे हों गायब
सब काम मशीनों से ही चले, धोबी ना रहे नाई ना रहे
Let Muslims not be Muslim, nor Hindus Hindu-like
You are our overlords, brotherhood claims can take a hike
We pay the price for your talents that serve to severe ties
If machines can wash clothes why can’t they cut our hair in spikes
४
तअज्जुब से कहने लगे बाबू साहब
गौरमेंट सैयद पे क्यूँ मेहरबां है?
उसे क्यूँ हुई इस कदर कामयाबी
कि हर बज़्म में बस यही दास्ताँ है
कभी लाट साहब हैं मेहमान उसके
कभी लाट साहब का वो मेहमां है
नहीं है हमारे बराबर वो हरगिज़
दिया हमने हर सीग़े का इम्तिहाँ है
वो अंग्रेज़ी से कुछ भी वाक़िफ नहीं है
यहाँ जितनी इंग्लिश है सब बर्ज़बां है
कहा हंसके 'अकबर' ने ऐ बाबू साहब
सुनो मुझसे जो रम्ज़ उसमें निहां है
नहीं है तुम्हे कुछ भी सैयद से निस्बत
तुम अंग्रेजीदां हो वो अंग्रेज़दां है
The servant of the Empire wondered aloud
"How come the state has sympathy for Mr. Khan?"
"Why does he find favor forever with fortune?
His lore resounds around the whole wide world's wingspan"
"Movers and shakers move their schedules to meet him
Or play host as if he were the Shah of Iran"
"He doesn't shine a light to us enlightened souls
We have passed exams and mugged up legal ज्ञान"
"He has no knowledge of the Queen's tongue I can tell
We speak as if we were born in an English clan"
'Akbar', he laughed and told the bureaucrat
"Here is the secret to the flight of this black swan"
"You can never match up to his influence
You praise English and he praises the Englishman"
~'अकबर' (lost in translation)
हंगामा है क्यूँ बरपा, थोड़ी सी जो पी ली है
डाका तो नहीं डाला, चोरी तो नहीं की है
ना-तजुर्बाकारी से वाइज़ की ये बातें हैं
इस रंग को क्या जाने, पूछो जो कभी पी है
उस मय से नहीं मतलब, दिल जिससे हो बेगाना
मक़सूद है उस मय से, दिल ही में जो खिंचती है
वां दिल में की दो सदमे, यां जी में की सब सह लो
उनका भी अजब दिल है, मेरा भी अजब जी है
हर ज़र्रा चमकता है अनवार-ए-इलाही से
हर सांस ये कहती है, हम हैं तो खुदा भी है
सूरज में लगे धब्बा, फितरत के करिश्मे हैं
बुत हमको कहें काफ़िर, अल्लाह की मर्ज़ी है
Why all this commotion just ‘cause I took a sip?
I did not steal or rob, just took a tiny trip
Clergymen can be chaste but never know this taste
Nor see this colour, unless faith does a backflip
Don’t care much for all these brews that burn the heart
The heart makes its own wine sweeter to the lips
I’ll grin and bear all of her punishments
My heart is like a crazy cat, hers is catnip
This light of being fills up even the tiniest speck
Each breath reminds us we are not a random blip
The Sun too has its own wounds by nature’s decree
The gash of idolatry is made by God’s whip
२
आब-ए-ज़मज़म से कहा मैंने, मिला गंगा से क्यूँ?
क्यूँ तेरी तीनत में इतनी नातवानी आ गयी?
वह लगा कहने की हज़रत! आप देखें तो ज़रा
बंद था शीशी में अब मुझमें रवानी आ गयी
Holy water! Why do you gel with infidels?
Without strength of your will are you holy at all?
“Before you judge me, Mister, just answer me this
Do I look better in bottle or waterfall?”
३
मुस्लिम का मियाँपन सोख्त करो. हिन्दू की भी ठकुराई ना रहे
बन जाओ हर इक के बाप यहाँ, दावे को कोई भाई ना रहे
हम आपके फ़न के गाहक हों, खुद्दाम हमारे हों गायब
सब काम मशीनों से ही चले, धोबी ना रहे नाई ना रहे
Let Muslims not be Muslim, nor Hindus Hindu-like
You are our overlords, brotherhood claims can take a hike
We pay the price for your talents that serve to severe ties
If machines can wash clothes why can’t they cut our hair in spikes
४
तअज्जुब से कहने लगे बाबू साहब
गौरमेंट सैयद पे क्यूँ मेहरबां है?
उसे क्यूँ हुई इस कदर कामयाबी
कि हर बज़्म में बस यही दास्ताँ है
कभी लाट साहब हैं मेहमान उसके
कभी लाट साहब का वो मेहमां है
नहीं है हमारे बराबर वो हरगिज़
दिया हमने हर सीग़े का इम्तिहाँ है
वो अंग्रेज़ी से कुछ भी वाक़िफ नहीं है
यहाँ जितनी इंग्लिश है सब बर्ज़बां है
कहा हंसके 'अकबर' ने ऐ बाबू साहब
सुनो मुझसे जो रम्ज़ उसमें निहां है
नहीं है तुम्हे कुछ भी सैयद से निस्बत
तुम अंग्रेजीदां हो वो अंग्रेज़दां है
The servant of the Empire wondered aloud
"How come the state has sympathy for Mr. Khan?"
"Why does he find favor forever with fortune?
His lore resounds around the whole wide world's wingspan"
"Movers and shakers move their schedules to meet him
Or play host as if he were the Shah of Iran"
"He doesn't shine a light to us enlightened souls
We have passed exams and mugged up legal ज्ञान"
"He has no knowledge of the Queen's tongue I can tell
We speak as if we were born in an English clan"
'Akbar', he laughed and told the bureaucrat
"Here is the secret to the flight of this black swan"
"You can never match up to his influence
You praise English and he praises the Englishman"
~'अकबर' (lost in translation)
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