Sunday, October 17, 2010

हो हो हो

ये जो है वो नहीं, और जो है नहीं वो हो भी सकता है
न हो सकना भी हो सकने का एक तरीका लगता है

पर हो न हो, है जब तक तब तक बस एक यही बहाना है
यूँ तो होने ना होने का ये खेल भी बड़ा पुराना है

होते होते जो हो जाये वो ही आखिर में होना है
हो सके तो होने दो इसको, ना होने का क्यूँ रोना है