Sunday, February 17, 2013

सुना है...

सुना है कोई कुछ बोला है
किसी ने आहत भावनाओं को लफ़्ज़ों में तोला है
क्या बोला है ये तो पता नहीं
पर इसमें हमारी खता नहीं
कहने-सुनने का जाता रहा वक़्त
जंग वही है, हथियार नए हैं फ़क़्त
हज़ारों साल पुराने ज़ख्मों को
किसी ने फिर से टटोला है
सुना है

सुना है कुछ नीची जातें
करने लगी हैं ऊंची करामातें
लानत है! शर्म है! धिक्कार है!
लूट-खसोट तो ऊंची जातों का जन्मसिद्ध अधिकार है
खैर ये विवाद भी बढ़िया है
कि किसने देश को कितना लूट लिया है
कौन बन चुका है पुराना नासूर
और कौन नया-नया फफोला है
सुना है

सुना है कोई नौटंकी वाला
film बनाने चला था साला
ज़रूर उसके दिल में शैतान है
क्यूंकि film की setting अफ़ग़ानिस्तान है!
देखें तो पता चले शायद
क्या है इस काफिर की कवायद
मगर देखें तो देखें कैसे?
हम ही ने तो release के खिलाफ मोर्चा खोला है
सुना है