Friday, June 05, 2020

कुत्ते की मौत

एक ज़माना था
जब सब भगवान से डरते थे
जब कुत्ते और इंसान
एक-सी मौत मरते थे

कभी भूख से
कभी उमरदराज़ी से
कभी प्रेमी की नज़रअंदाज़ी से
कभी इलाका बचाने की जंग से
कभी शरीर के बदलते रंग से 

मौत के पीछे तरक़्क़ी की दलील नहीं थी
मौत कैसी भी हो
कम से कम ज़लील नहीं थी

मगर आजकल सड़कें चिकनी
और गाड़ियां तेज़ हैं
भगवान भी बाकी चीज़ों की तरह
बस weekend वाला craze है

अब जब इंसानों की बनाई
और इंसानों की चलाई गाड़ियां
इंसानों को accidentally रौंदती हैं
तो कुत्तों के दिलो-दिमाग में 
एक बिजली-सी कौंधती है

सोचते हैं ये ससुरा इंसान
और कितनी तरक़्क़ी करेगा
बेटा संभल के सड़क पार करना
वरना तू भी इंसान की मौत मरेगा

1 comment:

lost sanyasi said...

i liked the part😊,where
"भगवान भी बाकी चीज़ों की तरह
बस weekend वाला craze है"
Keep writing:)