Thursday, May 19, 2011

Peeing on Nusrat's grave

ये जो जलता जलता जूनून है
ये जो मौसम-ए-मई-जून है
की किताब पीना सिखा दिया
इस चाह ने, इस राह ने
इस माथापच्ची के माह ने
मुझे अल-फराबी बना दिया

ये जो आता जाता सुकून है
ये मेरी अकीदत का खून है
बस इसे ही स्याही बना लिया
मेरे बुखार ने, तेरे तीमार ने
तेरे महके महके ख़ुमार ने
मुझे मस्त खराबी बना दिया

No comments: