Thursday, February 09, 2012

न रहेगा NREGA

क्या रोज़-रोज़ ये रोज़गार को रो-रो के पीटें मत्था
क्यूँ लाइन लगाकर सरकार से खींचें बेरोज़गारी भत्ता
चलो UPSC में बैठें 
और बिना बात के ही ऐंठें
भले जेब में कौड़ी भी ना मिले, जग-ज्ञान मिलेगा अलबत्ता 

बेताल-पचीसी के माफ़िक ये परीक्षा भी है परी-कथा 
इसकी गलियों में भटकी रूहें घूमें बिन कपड़ा-लत्ता 
पर है इसका कुछ अलग मज़ा
हर रोज़ नज़र आती है क़ज़ा 
फ़र्ज़ी बुद्धिजीवी के लिए ये वही है जो है कलकत्ता 

GS की कहानी कहता है बूटा-बूटा, पत्ता-पत्ता 
किसी current event सा लगता है, जो गली में भौंके कोई कुत्ता 
जो संविधान घोल के पीता है
Hindu ही जिसकी गीता है 
वही शहद के भटके में छेड़ता है ये बरैयों का छत्ता 

न रहेगा इक दिन NREGA भी, जब बदलेगी अपनी सत्ता 
फिर और बनेंगी schemes करने को गरीबी की हत्या 
पर जेब भरेंगी खादी की 
जय बोल महात्मा गाँधी की!
और हम सारी स्कीमों को चाट मरेंगे बिन चूना-कत्था

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